पाकिस्तान पूर्णतः बेनक़ाब हो चुका है

प्रभात कुमार रॉय

राष्ट्र के तौर पर पाकिस्तान दरअसल चिरंतन भारतीय सभ्यता-संस्कृति का ऐसा अभिन्न और अटूट हिस्सा बना रहा है, जोकि राजनीतिक तौर पर साम्रज्यवादी साजिशों का शिकार होकर भारत से पूर्णतः विलग तो हुआ, किंतु विलग होकर भी सभ्यता और सांस्कृतिक रुप से कदाचित भी विलग नहीं हो सका। सन् 1947 में मौहम्मदअली जिन्ना की क़यादत में मुस्लिम लीग ने हिंदुस्तान को मुकम्मल तौर पर खो दिया और पाकिस्तान की तशकील की । सन् 1947 में ही हुकूमत ए पाकिस्तान ने वादी ए कश्मीर को बलपूर्वक हासिल करने के लिए अपनी संपूर्ण फौजी ताकत झोंक दी थी। पाकिस्तान ने भारत के साथ तीन बड़ी फौजी जंगों में पूर्णतः पराजित होकर, अंततः कुटिल कुनीति के कारण 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बंगला देश) को गंवा दिया। इतने बड़े फौजी ज़द्दोजहद के बावजूद भी पाकिस्तान का कश्मीर पर आधिपत्य कायम न हो सका। सन् 1988 से पाकिस्तान ने प्राक्सी वार के माध्यम से कश्मीर को हासिल करने की आतंकवादी कशमकश को बाकायदा जारी रखा। कश्मीर के प्रश्न पर जारी आतंकवादी प्राक्सी वार के तहत तकरीबन एक लाख लोगों की हलाक़त के पश्चात भी पाकिस्तान को कुछ भी हासिल नहीं हो सका। सन् 1947 से ही कश्मीर को लेकर ही भारत और पाकिस्तान के मध्य भयानक क़शीदगी और जबरदस्त तनाव पनपा और परवान चढ़ा। कश्मीर प्रश्न पर संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव से समझौते की दास्तान शुरु हुई और ताशकंद समझौता, शिमला समझौता, वाजपेयी की लाहौर यात्रा, आगरा सम्मिट आदि कितने ही कूटनीतिक प्रयास कश्मीर समस्या को निपटाने में नाक़ाम सिद्ध हुए। आजकल भी आपसी ताल्लुकात को दुरुस्त करने की दिशा में कूटनीतिक कोशिशें जारी है। आपसी ताल्लुकात सुधारने की दिशा में दोनों देशों के मध्य गहन आर्थिक संबंधों में निरंतर जारी बढोत्तरी एक संभवतया एक नई इबारत की संरचना कर सकती है। भारत-पाकिस्तान के मध्य आपसी व्यापार 2.6 अरब डालर तक पंहुच चुका है, जिसके आगामी पांच वर्षों में तकरीबन 12 अरब डालर के विशाल स्तर तक पहुंच जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

 भारत और पाकिस्तान दोनों ही वस्तुतः न्यूक्लियर बमों से लैस राष्ट्र हैं, जोकि 65 वर्ष पुरानी दुश्मनी को खत्म करके समूची दुनिया के समक्ष शांतिपूर्ण सह-अस्तीत्व का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इसके पश्चात किसी भी ताकतवर साम्राज्यवादी देश के लिए मौका फराहम ही नहीं रह जाएगा कि दोनों देशों के मध्य दुश्मनी के शोले भड़का कर अपनी युद्ध इंडस्ट्री से बेशुमार मुनाफा कमा सके। इसके लिए सबसे पहले पाकिस्तान को अपने दिलो-दिमाग से कश्मीर हड़पने के वहशियाना कॉमप्लेक्स का पूर्णतः परित्याग करना होगा। कश्मीर पर कब्जा करने की गरज़ से पाकिस्तान सदैव आतंकवाद पर दुरंगी चालबाजियां चलता रहा और अंततः पाकिस्तान अपने सबसे प्रमुख ऐतिहासिक सहयोगी अमेरिका को ही बेहद नाराज कर बैठा, जिसके लिए वह 65 वर्षो से मोस्ट फेवरड नेशन बना रहा।

अब तो अमेरिका ने मुंबई आतंकी आक्रमण के बर्बर खलनायक लश्कर-ए-तैयबा के दुर्दान्त सरगना हाफिज सईद पर विशाल इनाम घोषित कर दिया है-पूरे एक करोड़ डालर। दुनिया में बस एक ही आतंकी अलकायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी है जो दो करोड़ पचास लाख डालर के इनाम के साथ हाफिज सईद से आगे है। फर्क बस इतना है कि अल जवाहिरी तो चुपचाप किसी बिल में जमीनदोज़ हुआ बैठा है, जबकि हाफिज सईद अपने पाक-हुक्मरान आकाओं की जबरदस्त शह पर पाकिस्तान में घूम-घूम कर भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक मुल्कों के खिलाफ जहर उगलता फिरता है। मुंबई आतंकी आक्रमण के सिलसिले में हाफिज़ सईद के विरुद्ध भारत सरकार अब तक सुबूतों से भरे दो-दो डोजियर हुकूमत-ए-पाकिस्तान को बाकायदा सौंप चुकी है। अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने भी हाफिज सईद के विरुद्ध कुछ ठोस सुबूत फराहम कराए हैं। लेकिन पाकिस्तान हुकूमत इन्हें नाकाफी बताकर लगातार समस्त पुख्ता सबूतों को नक़ारती रही है। हुकूमत ए पाकिस्तान द्वारा हाफिज सईद की हिफाज़त और पुश्तपनाही करने की नीयत जगजाहिर हो चुकी है।

  आतंकी सरगना हाफिज सईद के सिर पर पचास करोड़ के अमेरिकी इनाम के ऐलान के पश्चात क्या वह किसी बिल में छुपने को मजबूर हो जाएगा। यक़ीनन हाफिज सईद अपने तेवर खुलेआम  दिखाकर बैतुल्ला महसूद या इलियास कश्मीरी जैसे दुर्दान्त पाक तालिबानी दहशतगर्दो की तरह अमेरिकी ड्रोन विमानों का शिकार होना चाहेगा। अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन पाक सेना की पनाहगाह के साये तले रह कर भी अमेरिकन कमांडो के संज्ञान से नहीं बचा पाया तो हाफिज़ सईद की क्या औकात ही क्या है ! हाफिज सईद के सिर पर विशाल इनाम का अमेरिकी ऐलान यक़ीनन उसकी राजनीतिक महात्वाकांक्षाओं को भी धूल धूसरित कर देगा। अभी कुछ समय पहले हाफिज सईद ने दिफ़ा ए पाकिस्तान नामक तंजीम को तशकील किया।दिफ़ा  ए पाकिस्तान के तहत चालीस आतंकी गिरोह शामिल किए गए। हाफिज़ सईद ऐलान करने में जुटा रहा कि पाकिस्तान की हिफाज़त लोकतांत्रिक सरकार या पाक सेना नहीं कर सकती, बल्कि पाकिस्तान की हिफाज़त दिफ़ा ए पाकिस्तान के इस्लामी सिपाही ही कर सकते हैं। भारत के खिलाफ लाहौर, कराची और अन्य शहरों-कस्बों में बड़ी भीड़ जुटा कर हाफिज़ सईद अपने लिए राजनीतिक मुस्तक़बिल की जमीन तैयार करता रहा। हाफिज सईद का नजरिया रहा कि चारों ओर से निराश-हताश पाकिस्तानी आवाम उसकी कयादत में कट्टर इस्लामी शासन की स्थापना के लिए मजबूर हो उठेंगे। सर्वविदित है कि हाफिज़ सईद को सदैव ही पाक सेना और आईएसआई के हुक्मरानों का जबरदस्त वरदहस्त प्राप्त रहा। हाफिज सईद की हिमाकत देखिए कि वह खुलेआम रैलियां करने के साथ अपनी राजनीति चमकाने के लिए पाक-टीवी चैनलों पर बहस में भी उतरने लगा। भारत के राज्यसभा सांसद मणि शंकर अय्यर दो महीने पहले पाकिस्तान तशरीफ से गए थे, तब वहां एक टीवी प्रोग्राम में बाकायदा हाफिज़ सईद ने मणि शंकर अय्यर के साथ बहस अंजाम दी और फरमाया कि दुश्मन देश भारत को व्यापार में पाकिस्तान द्वारा तरजीह देश का दर्जा देना बेहद गलत है। हाफिज़ सईद के बरखिलाफ अमेरिका के इस जोरदार इनामी ऐलान ने उन तमाम पाकिस्तानी हुक्मरानों को सकते में डालकर ठिठका दिया जो इस आतंकी सरगना को राजनीतिक ताकत बनाने में खुले आम भूमिका निभाते रहे। मुंबई आतंकी आक्रमण पर पाकिस्तान में चल रहे अदालती नाटक पर भी शायद इस घटनाक्रम का असर पड़ेगा।

 

पाकिस्तान और भारत के मध्य ताल्लुकात सुधारने की प्रथम और अनिवार्य शर्त है कि पाकिस्तान सरकार सुनिश्चित तौर पर भारत के बरखिलाफ जारी अघोषित आतंकवादी प्राक्सी वार का मुकम्मल खात्मा करे। हुकूमत-ए-पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा सरगना हाफिज़ सईद, जैश-ए-मौहम्मद सरगना मौलाना अज़हर मसूद, नृशंस अपराधी दाऊद इब्राहीम, सरीखे तमाम भारत विरोधी दशहतगर्दों को प्रश्रय प्रदान किया। इन तमाम दहशतगर्द गुटों ने कश्मीर और शेष भारत में बर्बर आतंक मचाना जारी रखा। दहशतगर्द सरगनाओं को पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय कानून के तहत तत्काल भारत के हवाले करे। हुकूमत-ए-पाकिस्तान अपनी इंटैलिजैंस एजेंसी आईएसआई पर पूरी तरह लगाम कसे और उसे भारत विरोधी गतिविधियां खत्म करने का सख्त हुक्म जारी करे। पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी प्रशिक्षण शिवरों को तत्काल बंद किया जाए। हुकूमत-ए-पाकिस्तान आतंकवाद के प्रश्न पर अपनी पाखंडपूर्ण दोरंगी नीतियों का तत्काल परित्याग करे। अफगान आतंकवाद के खात्मे के प्रश्न पर अमेरिका से अकूत अरबों-खरबों डालर की रकम हासिल करने वाला पाकिस्तान कश्मीर के प्रश्न पर आतंकवादी कुटिल  कूटनीति पर बाकायदा कायम बना रहा। संपूर्ण विश्व के समक्ष पाकिस्तान पूर्णतः बेनक़ाब हो चुका है। कश्मीर को हथियाने के प्रयास में आतंकवादी गिरोहों को प्रबल प्रश्रय प्रदान करके पाकिस्तानी राजसत्ता ने वस्तुतः पाकिस्तान को ही विध्वंस कर डालने की कुटिल राष्ट्रीय राजनीति का सृजन किया है जो आखिरकार विनाशकारी सिद्ध होगी।   

(पूर्व सदस्य नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजरी काऊंसिल)